Tuesday 21 July 2015

तभे हमर गांधी बबा के सुराज आही(छत्तीसगढ़ी)

बोट के कीमत पहिचाने ल परही,
जम्मो मनखे ल बोट डारेल परही।
छंटनी करना हे जोजवा बोजवा ल,
तभे हमर गांधी बबा के सुराज आही॥

तभे हमर गांधी .......

अपढ़ हेंकड़हा मन ह नेता बनथे,
जीत के छानही म पड़ पड़ होरा भुंजथे।
अईसनहा दोगला मन ल भगायेल परही,
चुनयी म इंकर मन के मंजा बतायेल परही॥

तभे हमर गांधी........

साड़ी बांटथे कतका घर घर जाके ,
हमर बहिनी माई मन ल रिझाए बर।
दारू कुकरा बांटे टुरा पिला ल पटाय बर,
अब इंकर सप्पड़ नई परना हमन ल चाही॥

तभे हमर गांधी.......

जेन मेर पाही फलर फलर ओसाही,
तरिया नंदिया गली खोर सुधर जाही।
इस्कुल, दैहान ,पक्की सड़क बन जाही,
अब लबरा फलर्रा मन ल तिरियाये ल परही॥

तभे हमर गांधी......

नोनी बाबू बोट डरयीया मन सकलावव,
बने पढ़े लिखे गुनवान मनखे ल जितावव।
जेन हमर समझय दुख सुख पीरा परेशानी,
अईसनहे मनखे ल तिलक लगाय ल परही॥

तभे हमर गांधी बबा के सुराज आही.....

रचना
हेमंत कुमार मानिक पुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़

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