मात्रा ---13/11(दोहा)
पंखे से चलती हवा, गमले पर है पेड़।
घाँस उगे छत के उपर,चरे जिसे सब भेड़।।
चौपाया बुक मे मिले, जंगल टी वी देख।
फिश घर मे पलने लगे,सही कहूँ मै लेख।।
बीबी सब कुछ जब लगे,कोई कैसे भाय।
बाप मरा माता मरी, आँसू कैसे आय।।
दारू पी कर आ रहे,बोतल बोतल रोज।
घर पर इक दाना नही,बच्चे तरसे भोज।।
जब भी वो कूँ कूँ करे,मन भर आया प्यार।
माँ बिन चप्पल के चले, कुत्ता बैठे कार।।
काम धाम कुछ भी नही,हर दिन खेले ताश।
यही करम तो कर रहा,कई जनों का नाश।।
-–-रचना
हेमंत मानिकपुरी
भाटापारा छत्तीसगढ.