काट देबो कूटी कूटी,
दाब देबो भिथीया कुति,
जेन देखही हमला गुड़ेर के,
फोर देबो ओखरे आंखी रे।
नई हन कमजोर सुनलव रे,
देबो दाग हमूमन गोली,
बड़र बड़र झिन करव तु मन ,
खेल देबो करांची म होली रे।
परमाणु बम के धोस देखाथस,
आतंकी मन के आड़ म आथस,
दम हे त सामने आ के लड़ बेटा,
तोर बर काफी हमर लात घूसा रे।
चीनाकड़ी मन के बल पाके,
मेचका असन टर्राथस रे,
तैं हर सोचथस बड़ चतुर हंव,
हमन आन तोर तो बड़े ददा रे।
रचना-
हेमंत मानिकपुरी
भाटापारा
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