अभिव्यक्ति की परिभाषा,
रंग रूप से कंही अछूता,
है विचारों की श्रखंला,
जिसे आज हम कहते भाषा ।
राष्ट्र एकता मे निर्वह,
वो कुंठित नही है उर्वर,
जीवन मे प्राण भरती,
जिसे आज कहते हम भाषा।
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम,
एक बिंदु पर आकर मिलते,
जिस प्राणों ने सीचा संबंध,
जिसे आज कहते हम भाषा।
विविध भारती विविध बोलियां,
पर रहती सब की अभिलाषा,
अनेकता मे एकता है देश मेरा,
जिसे आज कहते हम भाषा ॥
रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़
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