जमाने गुजरते रहे यादें जागती रही ,
उम्मीद थी वो कभी सपनो मो आए।
सम्हल कर लड़खड़ाना अब रवायते इश्क है,
हम तो हर आईनें मे उसे तलाशते रहे।
दिल -ए-हरम मे हर कोना सजा है,
खुदा मानकर उसे सजदा करते रहे।
हाथों मे लकीरें बहोत है "हेमंत",
उसको पाने की किस्मत कंहा से लाएं।
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