Sunday 12 July 2015

जमाने जागते रहे(हिन्दी)


जमाने गुजरते रहे यादें जागती रही ,

उम्मीद थी वो कभी सपनो मो आए।

सम्हल कर लड़खड़ाना अब रवायते इश्क है,
हम तो हर आईनें मे उसे तलाशते रहे।

दिल -ए-हरम मे हर कोना सजा है,
खुदा मानकर उसे सजदा करते रहे।

हाथों मे लकीरें बहोत है   "हेमंत",
उसको पाने की किस्मत कंहा से लाएं।


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