212/212/212/212
दरिया की प्यास भी देखता क्यूँ नही
जब तू बादल है तो बरसता क्यूँ नही
तुझको धन से नवाज़ा खुदा ने बहुत
पर ग़रीबों के वास्ते दया क्यूँ नही
लड़ता है अपनो से रोज बेकार ही
बे - वजह जंग को रोकता क्यूँ नही
चलना है तुमको जिस रास्ते पे सदा
काँटे उन राहों का काटता क्यूँ नही
प्यार का फलसफा रोज कह देता है
प्यार को यार फिर बाँटता क्यूँ नही
क्या तू कहता है क्या तू नही कहता है
गर नही जानता , जानता क्यूँ नही
ग़ज़ल
हेमंत कुमार मानिकपुरी
भाटापारा छत्तीसगढ़