Thursday 1 October 2015

गज़ल

मरने के बाद कौन कहां जाएगा परवाह नही करते,
उजड़े हुए चमन की तबाहियां हम याद नही करते।

दो गज़ ज़मीन मिले न या खाख हो जाएं जलकर,
क्या फरक पड़ता है मरने के बाद की हम बात नही करते।

जीते हैं जिंदा दिली से प्यार-मोहब्बत के इशारों पर,
समंदर के बीच जाकर हम तूफानो की बात नही करते।

दर्द देखकर सिहर उठते हैं गरीबों की रूसवाईयां देखकर,
जी कर भी जो मरा है हम उनकी बात नही करते।

तंग हाथ थे पर दुवायें हमने बहोत दी है दिल से "हेमंत"
जो गर अमीर तंग हाथ हो हम उनकी बात नही करते।

रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़

गज़ल

चर्च मंदिर मस्जिद गुरूद्वारा कोई काम न आया,
सब धर्मों का प्रेम हि क्यों अतुलित भारत को भाया।

मत लड़ो चर्च मंदिर मस्जिद गुरूद्वारा के लिए साथियों,
जीजस ईश्वर खुदा वाहेगुरू  है भारत को भाया।

अरे भाई भाई हैं हम सब इस पूरे हिन्दुस्तान मे,
दूश्मनी का दौर कल न आज है मां भारती को भाया।

सब धर्मो मे रहकर भी हम मां भारती का गुणगान करें,
जिस मिट्टी मे हम उपजे कोई मिट्टी न हम को भाया।

"हेमंत"आ जाओ हम सब मिलकर एकता के राह चलें,
झगड़ा दुश्मनी बैर बताओ है कहां जन्म भूमि को भाया।

रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़

गुरूजी बेमार हे

गुरूजी बेमार हे अपन आदत ले लचार हे,
इसकुल के पाछु गुटखा पाकिट के भरमार हे।
पच पच कोन्टा कोति निकल निकल के थुंकथे,
ह्वाट्सेप म नवा मेसेज के ओला इंतजार है॥

दुनिया भर के खबर गुरूजी मेरा तैं  पाबे,
लयीका पढ़ाय बर भर हमर गुरूजी अलाल हे।
बैठक के सूचना पाके गुरूजी गदगद हो जाथे ।
गप सड़ाका मारे बर हमर गुरूजी हुशियार हे॥

ओसनहे लयीका मन घलो एकदम अप -टू- डेट हे,
फेल पास के लफड़ा ले अब झंझट मुक्त हे।
थोरकिन पढ़ा लिन त गुरूजी के  बड़ मेहरबानी ,
नई तो हर रोज देवारी हर रोज फागुन तिहार हे॥

अउ लयीका के दाई ददा के बात करना बेकार हे,
ओकर मेर दिन भर काम बुता के भरमार हे।
कोरी कोरी लयीका घर म कोच बोच भराय हे,
पढ़यीया लयीका घर म लयीका अउ घर रखवार हे॥

गुरूजी, लयीका के दाई ददा या कोन जुम्मेवार हे ?
सब ल पास करे बर भैया हमर हिट सरकार हे।
लयीका पीसात हे हमर सब झिन के बीच बेचारा,
सब ल सोचे ल परही संगवारी कोन लयीका के गुनहगार हे ?

रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला

बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़