Thursday 26 September 2019

दोहा

हर पल जीवन में रहे,प्रेम भरा उल्लास।

बगिया जैसे फूल की,महके चारो मास।।

मन मे दीपक तो जले,चाहे बाहर रात।

अँधियारा गर मन रहे,तम हो कैसे मात।।

सोंचो समझो जान लो,जीवन के सब रंग।

बारी बारी आत है,हँसी-खुशी ,दुख जंग।।

खिड़की खोलो देंह की,मन दरवाजा तोल।

सोंच समझ खर्चा करो,यह जीवन अनमोल।।

नहिँ भुजंग लाठी मरे,और न मरे घमंड।

प्रेम रतन लाठी भली,काम करे यव-मंड।।

दोहे

हेमंत कुमार मानिकपुरी

भाटापारा छत्तीसगढ़

Monday 16 September 2019

ज़िक्र मेरा आएगा उनके हर फ़साने में

212    1222     212       1222

ज़िन्दगी जलाएँ  है ज़िन्दगी को पाने में

गम को छोड़ आये हैं हम शराबख़ाने में

आजकल  वो हमसे ही  दूर दूर  रहते हैं

ज़िन्दगी  खपा दी हमने  जिन्हे बनाने में

यार कब की ये दुनिया जान ले गई होती

मर्द हैं तो ज़िन्दा हैं अब तलक जमाने में

राख ये कहीं फिर से आग तो न बन जाये

लोग कुछ लगे हैं फिर  राख को जलाने में

आज हमसे रूठे हैं तो हैं देखना इक दिन

ज़िक्र  मेरा  आएगा उनके  हर फ़साने  में

ग़ज़ल

हेमंत कुमार "अगम"

भाटापारा