Tuesday 25 July 2017

दोहा


दोहा

काँसा के थारी रहय ,अउ हँड़िया के भात,
मार पालथी रँधनही,खावन ताते तात।

बटकी काँसा के रहय,पेंदी गहिरा गोल।
बने खात बासी बनय,स्वाद आय अनमोल।।

छर्रा छर्रा अउ लरम, गजब पैनहा भात।
परसँग अब्बड़ तो करय,ददा बबा मन खात।।

रहय कुँडे़रा बड़ जनिक,पेज पसावन जान।
हंडा ,हँउला मा धरय,पानी कस के तान।।

लोटा काँसा घर सबो, पीतल संग गिलास।
रहय नानकुन चरु घलो,गोड़ धोय बर खास।।

माटी के हथ फोड़वा,रखय आँच के ध्यान।
बिना तेल चीला बनय,बड़ पुरखा के ग्यान।।

हेमंत कुमार मानिकपुरी
भाटापारा
छत्तीसगढ़

Friday 7 July 2017

दोहा

दोहा (13/11)
श्रृंगार रस

सोलह के दहलीज पर,यह कैसी झंकार।
नई नई दुनिया दिखे,नया नया श्रृंगार।।

होठों पर मादक हँसी,नयना झलके प्यार।
बातों से  मधुरस  झरे, अलबेली  है  नार।।

झुमका मानो कह रहे,कानो में रस घोल।
यौवन तुझपे आ गया,गोरी कुछ तो बोल।।

गला सुराही की तरह,काले लंबे बाल।
माथे पर चंदा लगे,बिन्दी मखमल लाल।।

दर्पण कंघी से हुआ,अनायास ही प्यार।
सजने-धजने है लगी,दिन मे सोलह बार।।

स्वप्न  सुनहरे  आ  गए, लेकर  के  बारात।
पिया-पिया मन कह उठा,नही चैन दिन-रात।।

नाच उठी पायल छनक,कँगना करती शोर।
प्रियतम मुझको ले चलो,प्रेम गर की ओर।।

हेमंत कुमार मानिकपुरी
भाटापारा
छत्तीसगढ़

Sunday 2 July 2017

गीत

प्यासी नदियाँ प्यासी धरती
पर्वत प्यासा प्यासी घाटी
सब देख रहे हैं आओ रे
हे मेघा तुम नीर बरसाओ रे.. २..
नील गगन से पंख लगाकर
उतरो धरती रिमझिम गा कर
दिल की प्यास बुझाओ रे
हे मेघा तुम नीर बरसाओ रे..2..
खेत तरसते देख रहे हैं
बाग बगीचे सूख गये है
अब बागो मे फूल खिलाओ रे
हे मेघा तुम नीर बरसाओ रे..2..
नैना तरसे तुम बिन बादल
सूख गये हैं माँ का आँचल
तुम लहराओ बलखाओ रे
हे मेघा तुम नीर बरसाओ रे....2