बिन पानी होगे सबो , परता खेती खार।
दुख मा आज किसान हे,करजा हवय अपार।।
परगे हाट-बजार हा,सुन्ना एसों साल।
जम्मो डहर दुकाल के,छँइहा हे विकराल।।
माथा धरे सियान हे , लइका मन बिनहाल।
कोन जनम के पाप हा,लाने हवय दुकाल।।
कुरिया होय कपाट बिन,दाई बिन औलाद।
छदर-बदर तो हो जवय,रहय भले फौलाद।।
सुघ्घर ग्यान सकेल के,दव अवगुन ला बार।
जइसे भूँसा धान ले , सूपा देत निमार।।
हेमंत कुमार मानिकपुरी
भाटापारा