Saturday 2 September 2017

दोहा


हिन्दी से ज्यादा अभी,है अंग्रेजी दौर।

अंग्रेजी जो बोलता,उसके सर पर मौर।।

अंग्रेजी माध्यम बना,है बहुतेरे स्कूल।

ए,बी,सी,डी पढ़ रहे,हिन्दी भाषा भूल।।

याद नही है अब हमें,हिन्दी वाले अंक।

ये कैसा दुर्भाग्य है,लगा सोच पर जंक।।

हर घर में बनता दिखे, पास्ता नूडल आज।

स्वाद भूल देशी रहे,फास्ट फूड का राज।।

बाप बाप अब ना रहा,डैड नया है नाम।

मॉम बनी  माता  ,सभी, देखो  मेरे  राम।।

हाय बाय अब चल रहा,नमस्कार ना होत।

ब्रो,सिस् कहने लगे , सब  अंग्रेजी  होत।।

सर से लेकर पाँव तक,गाँव शहर के लोग।

संस्कृति पश्चिम का करे,बिन सोचे उपभोग।।

चले गए गोरे सभी,हिन्द हुआ स्वतंत्र।

फिर उनकी संस्कृति हमें,बना गई परतंत्र।।

दोहा

हेमंत कुमार मानिकपुरी

भाटापारा छत्तीसगढ़

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