"लइकापन"
(सार छंद)
हो जाबो बड़का जब भइया,मोह मया फँस जाबो।
गिल्ली डंडा फुगड़ी रस्सी ,खेल कहाँ तब पाबो।।
मनमानी कर लेथन संगी,जब तक हे लइकापन।
अमली,आमा,बीही चोरा,बारी मा चल खाथन।।
परसा पाना के पुतरा बर,पुतरी खोजे जाथन।
बने बराती गड़वा बाजा,डब्बा बाँध बजाथन।।
डबरा मा मछरी चल धरबो,छींच छींच अउँटाबो।
खदबद खदबद लद्दी करबो,बामी डेमचुल पाबो।।
रच-रच चढ़थन चल गेंड़ी जी,भँवरा खूब चलाथन।
रेस टीप बर ओन्टा कोन्टा, कोला डहर लुकाथन।।
चड्डी पहिरे टायर धरके ,गली गली दउँड़ाथन।
गली खोर मा हफट गिरत ले,चक्का खूब चलाथन।।
मन भर उतलँग कर लेथन जी,चढ़थन परवा छानी।
फोदा धरले खेले जाबो, चल तरिया के पानी।।
पेड़ झाड़ मा खोर्रा खोजत,दिन भर खार बिताथन।
मिठ्ठू हेरे के चक्कर मा,गारी गल्ला खाथन।।
हेमंंत कुमार मानिकपुरी
भाटापारा छत्तीसगढ़
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