बोट के कीमत पहिचाने ल परही,
जम्मो मनखे ल बोट डारेल परही।
छंटनी करना हे जोजवा बोजवा ल,
तभे हमर गांधी बबा के सुराज आही॥
तभे हमर गांधी .......
अपढ़ हेंकड़हा मन ह नेता बनथे,
जीत के छानही म पड़ पड़ होरा भुंजथे।
अईसनहा दोगला मन ल भगायेल परही,
चुनयी म इंकर मन के मंजा बतायेल परही॥
तभे हमर गांधी........
साड़ी बांटथे कतका घर घर जाके ,
हमर बहिनी माई मन ल रिझाए बर।
दारू कुकरा बांटे टुरा पिला ल पटाय बर,
अब इंकर सप्पड़ नई परना हमन ल चाही॥
तभे हमर गांधी.......
जेन मेर पाही फलर फलर ओसाही,
तरिया नंदिया गली खोर सुधर जाही।
इस्कुल, दैहान ,पक्की सड़क बन जाही,
अब लबरा फलर्रा मन ल तिरियाये ल परही॥
तभे हमर गांधी......
नोनी बाबू बोट डरयीया मन सकलावव,
बने पढ़े लिखे गुनवान मनखे ल जितावव।
जेन हमर समझय दुख सुख पीरा परेशानी,
अईसनहे मनखे ल तिलक लगाय ल परही॥
तभे हमर गांधी बबा के सुराज आही.....
रचना
हेमंत कुमार मानिक पुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़