Thursday 22 July 2021

आल्हा

काले   काले    प्यारे बादल,
आकर कर दो अब उपकार ।
बरसाओ तुम झर झर पानी,
खेतों  में  बह   जाये    धार।।



खग,चौपाया    देख  रहे हैं,
भरे हुए   सब मन में आस।
माओ-माओ  मोर   पुकारे,
आओ बरखा हर लो प्यास।।



गड़ गड़ गड़ गड़ बादल गरजे,
बिजली   चमके अगम अपार।
झूम-झूम   के   बरखा   बरसे ,
सँग      झूमें    सारा   संसार।।



कंधों   पर   नाँगर   धर  आए,
देखो   कैसे    मस्त   किसान।
खेत   जोतने   इस   धरती पर ,
जैसे       उतरा   हो   भगवान।।



हरियाली    छाईं    धरती   पर,
लहरायें    मन   भर     कांतार।
मस्त    मगन    हो  गाए झींगुर,
गाये   मेंढक   मेघ      मल्हार।।



ताल-तलैया   छलकें भर-भर,
झरने    बहते     हैं   सुरताल।
बाँध  लबालब  जल  से देखो,
बारिश   अच्छी   हैं  इस साल।।



गाँवों     में     रौनक    छायेगी,
शहरों    में    होगा      व्यापार।
आयेंगी   जब    अच्छी फसलें,
सबका     होगा        बेड़ापार ।।



हेमंत कुमार "अगम"

भाटापारा छत्तीसगढ़

Sunday 11 July 2021

बरसात (छ .गढ़ी बाल कविता)

करिया-करिया आवय बादर।

पानी   तब   बरसावय बादर।।


टप-टप  चूहय  छानी  परवा।

छलकय तरिया, छलकय नरवा।।


खेत - खार  मा   पानी-पानी।

जामय  बीजा  आनी बानी।।


अँधियारी मा बिजली बर गे।

गरजिस बादर  नोनी डर गे।।


गली-खोर नरवा कस लागय।

लइका कूदय दउँड़य भागय।।


कागज  के  डोंगा अब बनगे।

हमर   बबा  के  छाता तनगे।।


रात  मेंचका  टर - टर  गावय।

कूदय नाचय  मँजा  उड़ावय।।


हँड़िया  ले  अब  होरा लावव।

माई   पिल्ला   बइठे  खावव।।


हेमंत कुमार "अगम"

भाटापारा छ.ग.

Monday 5 July 2021

gazal

212  212   212  2

कुछ दुआ कुछ दवा काम आए

तब कहीं मुझको  आराम आए


झूम   उठते    हैं  बनके  शराबी

गर  लबों  पे   तिरा  नाम  आए


हो  मिरे   गाँव  की  पाक  मिट्टी

जिन्दगी  जब  तिरा  शाम आए


चाँदनी    मुस्कुराती  सफ़क़  पे

हँस्के   तू  जब कभी बाम आए


उस   गली की अजब दास्ताँ थी

जब भी गुजरे  तो बदनाम आए


हेमंत कुमार "अगम"

भाटापारा छत्तीसगढ़