Sunday 11 July 2021

बरसात (छ .गढ़ी बाल कविता)

करिया-करिया आवय बादर।

पानी   तब   बरसावय बादर।।


टप-टप  चूहय  छानी  परवा।

छलकय तरिया, छलकय नरवा।।


खेत - खार  मा   पानी-पानी।

जामय  बीजा  आनी बानी।।


अँधियारी मा बिजली बर गे।

गरजिस बादर  नोनी डर गे।।


गली-खोर नरवा कस लागय।

लइका कूदय दउँड़य भागय।।


कागज  के  डोंगा अब बनगे।

हमर   बबा  के  छाता तनगे।।


रात  मेंचका  टर - टर  गावय।

कूदय नाचय  मँजा  उड़ावय।।


हँड़िया  ले  अब  होरा लावव।

माई   पिल्ला   बइठे  खावव।।


हेमंत कुमार "अगम"

भाटापारा छ.ग.

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