धड़ धड़ ले दव दाग,सबो ला मारव गोली।
छाती मा चढ़ जाव,खून के खेलव होली।
आतंकी ला गाड़,देश बिक्कट सुख पाही।
छोंड़व झन जी आज,फेर मउका नइ आही।
मानवता के नाश ला,रोकव अब पारी हवय।
आवव आघू वीर तुम,दुश्मन देख सिहर जवय।
Monday 27 November 2017
छप्पय
Sunday 26 November 2017
बरवै
बरवै
जाबो काम करे बर,सब परिवार।
मेहनत ले सिरजाबो,खेती खार।
परता टोर टोर के,रचबो पार।
दलहन पाबो कसके,खाबो दार।
जोंत जोंत भुइयाँ ला,करबो सार।
धान पान होही जी,तब भरमार।
खद्दर नइ होही जी,ककरो द्वार।
अब पक्का घर बनही,झारा झार।
अब चम चम चमकाबो,सबके ठाँव
गली बनाबो पक्की,जम्मों गाँव।
रखबो साफ सफाई, पूरा साल।
स्वास्थ सबो के होही,माला माल।
जल साफ सबो पीबो,क्लोरिन डार।
बीमारी ला करबो,भव ले पार।
सरग बनाबो सुघ्घर,नइ हे देर।
हरियर करबो धरती,जाँगर पेर।
दुख पीरा ला हरबो,ये संसार
जाँगर के पाछू मा,ले हन भार।
----हेमंत कुमार मानिकपुरी
भाटापारा छत्तीसगढ़
Tuesday 21 November 2017
अमृत ध्वनि
जानव जी कब आ जही,धरके 'काल'बरात।
माटी के चोला हमर ,आय घुरनहा जात।।
आय घुरनहा जात सुनव जी,सबो गुनव जी।
मन मारव जी,सच साजव जी,सुख पावव जी।
करम करव जी,मरम हरव जी,राम जपव जी।
सत लावव जी,बन मानव जी,सब जानव जी।
........हेमंत
Sunday 19 November 2017
अमृत ध्वनि
छोंड़व बोतल के नशा,राखव तन मन साफ।
गलती अड़बड़ झन करव,नइ होवय जी माफ।।
नइ होवय जी ,माफ समझलव,थोरिक सोंचव।
मन मा भरलव,बने परखलव,काया सुध लव।
जग समझावव,मिल जुर रह लव,झगरा टोरव।
मान बचावव,जिनगी गढ़लव,बोतल छोंड़व।
........हेमंत कुमार
Saturday 18 November 2017
अमृत ध्वनि
मन से झगड़ा छोड़ दें,रहें सभी सब साथ।
जात-पात सब भूलकर,चलें मिलाकर हाथ।।
चलें मिलाकर,हाथ सभी जन,कर परिवर्तन।
हो अपनापन,ना हो परिजन,ना परिवेदन।
देश भक्ति धन,महके हर तन,जैसे चंदन।
कर अभिनंदन,भारत वंदन,तन्मय कर मन।
.......हेमंत कुमार मानिकपुरी
अमृत ध्वनि
पानी बड़ अनमोल हे , पानी हमर परान।
सोंच समझ खरचा करव,पानी अमरित जान।।
पानी अमरित ,जान बचाही,तन जुड़वाही।
प्यास बुझाही ,पेड़ उगाही,जग सँवराही।
नीर गँवाही,खइता जाही, समझव ग्यानी।
वो दिन आही,सब चिल्लाही,पानी पानी।
....हेमंत
Monday 6 November 2017
त्रिभंगी
माटी के सेवा,देहय मेवा,धरती के तुम जतन करव।
बड़ पेरव जाँगर,धर लव नाँगर,खेती बर जी ध्यान
धरव।।
जिनगी हर बनही, छाती तनही,मिहनत के बस पाँव
परव।
भुइँया दाई कस,करलव जी जस,दुख माटी के तुमन
हरव।।
---------हेमंत