माटी के सेवा,देहय मेवा,धरती के तुम जतन करव।
बड़ पेरव जाँगर,धर लव नाँगर,खेती बर जी ध्यान
धरव।।
जिनगी हर बनही, छाती तनही,मिहनत के बस पाँव
परव।
भुइँया दाई कस,करलव जी जस,दुख माटी के तुमन
हरव।।
---------हेमंत
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