बरवै
जाबो काम करे बर,सब परिवार।
कमिया बन सिरजाबो,खेती खार।
परता टोर टोर के,रचबो पार।
दलहन पाबो कसके,खाबो दार।
जोंत जोंत भुइयाँ ला,करबो सार।
धान पान होही जी,तब भरमार।
खद्दर नइ होही जी,ककरो द्वार।
अब पक्का घर बनही,झारा झार।
अब चम चम चमकाबो,सबके ठाँव
गली बनाबो पक्की,जम्मों गाँव।
रखबो साफ सफाई, पूरा साल।
स्वास्थ सबो के होही,माला माल।
जल साफ सबो पीबो,क्लोरिन डार।
बीमारी ला करबो,भव ले पार।
सरग बनाबो सुघ्घर,नइ हे देर।
हरियर करबो धरती,जाँगर पेर।
दुख पीरा ला हरबो,ये संसार
जाँगर के पाछू मा,ले हन भार।
----हेमंत कुमार मानिकपुरी
भाटापारा छत्तीसगढ़
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