Sunday 5 May 2024

चुनाव

क्या समाज ने लोभ का,पहन लिया है खाल।

अब तो 'बंदर-बांट' कर  , सभी  उड़ाते  माल।।


ये  समाज है फल अगर , नेता  जी  हैं  बीज।

दोनों  को   ही   चाहिए , एक्स्ट्रा वाला चीज।।


नेता  बगुला  सा  बना , चले  चाल  पर चाल।

मीन कहाँ समझे भला  ,मुफ्त माल का जाल।।


दीन-हीन अश्पृश्य जन,  मन  में  करें विचार।

जाति,धर्म का खेल ही  ,  नेता   का  व्यापार!।।


जो  हो   झूठा   आदमी  , करे स्वार्थ की बात।

एसों   को  पहचान कर ,मारें 'मत' की लात।।


सब अवगुण को त्याग कर ,करे  देश  से प्यार।

एसे   नेता    खोजकर  , भारें   भारत   भार।।


हेमंत कुमार "अगम"

भाटापारा