फ़इलातु /फ़ाइलातु/फा
माँ दुआ भी है वफ़ा भी है
मेरी दर्द की दवा भी है
माँ को कैसे भूल जाऊँ मैं
वो सदा भी है ख़ुदा भी है
हो तू ही मेरी माँ हर जनम
यही रब से इल्तिजा भी है
माँ वो धागा है पतंग की
जो उड़ा भी है कटा भी है
मैं रहूँगा कैसे बिन माँ के
ये ख़ला से दिल डरा भी है
ग़ज़ल
हेमंत कुमार मानिकपुरी
भाटापारा
ख़ला-शून्यता