Monday 27 November 2017

छप्पय

धड़ धड़ ले दव दाग,सबो ला मारव गोली।
छाती मा चढ़ जाव,खून के खेलव होली।
आतंकी ला गाड़,देश बिक्कट सुख पाही।
छोंड़व झन जी आज,फेर मउका नइ आही।
मानवता के नाश ला,रोकव अब पारी हवय।
आवव आघू वीर तुम,दुश्मन देख सिहर जवय।

No comments:

Post a Comment