Monday 18 December 2017

मैं गाँधी बन जाहूँ-सार छंद

आँखी चशमा गोल लगाके,कमर घड़ी लटकाहूँ।
एक हाथ मा लउड़ी धर हूँ ,मैं गाँधी बन जाहूँ।।

सत के सँग सँग जीहूँ मैं हर,सत बर प्राण गवाहूँ।
सादा  बढ़िहा  जिनगी रहिही,राम  नाव  मैं  गाहूँ।।

घर घर जाके मैं सबझन ला,चेत लगा समझाहूँ।
दारू  छोंड़व गाँजा  छोंड़व, कहिके  माथ नवाहूँ।।

जम्मो हाथ कलम सँग होही,स्कूल गाँव बनवाहूँ।
नोनी बाबू  सँग  सँग पढ़ही,आखर अलख जगाहूँ ।।

बाहिर-भाँठा बाहिर झन जव,सब जन ला चेताहूँ।
बनवावव  घर  मा  शौचालय,सगरी  पाठ  पढ़ाहूँ।।

जीव मार झन झगरा लड़ झन,अइसन बात बताहूँ।
मनखे  मनखे  एक  बनाके , दया  मया  बगराहूँ।।

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई,सब ला गला लगाहूँ।
जाति धरम के भेद मिटा के,रसदा सही बनाहूँ।।

हेमंत कुमार मानिकपुरी
भाटापारा छत्तीसगढ़

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