आँखी चशमा गोल लगाके,कमर घड़ी लटकाहूँ।
एक हाथ मा लउड़ी धर हूँ ,मैं गाँधी बन जाहूँ।।
सत के सँग-सँग जीहूँ मैं हर,सत बर प्राण गवाहूँ।
सादा बढ़िहा जिनगी रहिही,राम नाव मैं गाहूँ।।
घर-घर जाके मैं सबझन ला,चेत लगा समझाहूँ।
दारू छोंड़व गाँजा छोंड़व, कहिके माथ नवाहूँ।।
जम्मो हाथ कलम सँग होही,स्कूल गाँव बनवाहूँ।
नोनी-बाबू सँग - सँग पढ़ही,आखर- अलख जगाहूँ ।।
बाहिर-भाँठा बाहिर झन जव,सब जन ला चेताहूँ।
बनवावव घर मा शौचालय,सगरी पाठ पढ़ाहूँ।।
जीव मार झन झगरा लड़ झन,अइसन बात बताहूँ।
मनखे मनखे एक बनाके , दया मया बगराहूँ।।
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई,सब ला गला लगाहूँ।
जाति धरम के भेद मिटा के,रसदा नवा बनाहूँ।।
हेमंत कुमार "अगम"
भाटापारा छत्तीसगढ़
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