जानव जी कब आ जही,धरके 'काल'बरात।
माटी के चोला हमर ,आय घुरनहा जात।।
आय घुरनहा जात सुनव जी,सबो गुनव जी।
मन मारव जी,सच साजव जी,सुख पावव जी।
करम करव जी,मरम हरव जी,राम जपव जी।
सत लावव जी,बन मानव जी,सब जानव जी।
........हेमंत
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