मन से झगड़ा छोड़ दें,रहें सभी सब साथ।
जात-पात सब भूलकर,चलें मिलाकर हाथ।।
चलें मिलाकर,हाथ सभी जन,कर परिवर्तन।
हो अपनापन,ना हो परिजन,ना परिवेदन।
देश भक्ति धन,महके हर तन,जैसे चंदन।
कर अभिनंदन,भारत वंदन,तन्मय कर मन।
.......हेमंत कुमार मानिकपुरी
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