Saturday, 18 November 2017

अमृत ध्वनि

मन से झगड़ा छोड़ दें,रहें सभी सब साथ।

जात-पात सब भूलकर,चलें मिलाकर हाथ।।

चलें मिलाकर,हाथ सभी जन,कर परिवर्तन।

हो अपनापन,ना हो परिजन,ना परिवेदन।

देश भक्ति धन,महके हर तन,जैसे चंदन।

कर अभिनंदन,भारत वंदन,तन्मय कर मन।

                         .......हेमंत कुमार मानिकपुरी

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