Wednesday 20 September 2017

दोहा (छंद के छ 4 के अभ्यास))


बिन  पानी  होगे  सबो , परता  खेती  खार।
दुख मा आज किसान हे,करजा हवय अपार।।

परगे हाट-बजार हा,सुन्ना एसों साल।
जम्मो डहर दुकाल के,छँइहा हे विकराल।।

माथा धरे  सियान हे , लइका मन बिनहाल।
कोन जनम के पाप हा,लाने हवय दुकाल।।

कुरिया होय कपाट बिन,दाई बिन औलाद।
छदर-बदर तो हो जवय,रहय भले फौलाद।।

सुघ्घर ग्यान सकेल के,दव अवगुन ला बार।
जइसे  भूँसा  धान ले , सूपा  देत   निमार।।

हेमंत कुमार मानिकपुरी
भाटापारा

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