भादो महिना में हुआ,बारिश का संयोग।
पानी गिरते देखकर,खुश हैं सारे लोग।।
छाई है फिर से घटा,कई दिनों के बाद।
बादल गरजा है बहुत, आया सावन याद।।
सरर-सरर चलती रही,हवा आज दिन-रात।
पानी बरसा जोर से, आई रे बरसात।।
सूखे खेतों का मिटा,मुश्किल से जी प्यास।
जगी किसानों में नई,उम्मीदों की आस।।
चहल पहल है खार में,तेज हुए सब काज।
हल खेतों में चल पड़े,अर्र-तता आवाज।।
कोई रोपाई करे ,कोई ब्यासे खेत।
खाद डाल कोई रहा,कोई कोड़ा देत।।
बाँध कछोरा हैं रखीं,सब महिला मजदूर।
काम खेत में कर रहीं, आँखों मै है नूर।।
मेंढक खुश हैं देखकर,मस्त मस्त बरसात।
टरटों टरटों गा रहे, कंठ खोलकर रात।।
झींगुर झीं-झीं कर रहा,जुगनू जलता आप।
रात ख़ास है सुरमई, उल्लू करे अलाप।।
खार-वह जगह जहाँ खेत होते हैं
अर्र-तता --बैलों को मोड़ने हेतु आवाज
कछोरा-साड़ी को मोड़कर घुटनो तक पहनने का
खा़स तरीका
दोहा
हेमंत कुमार मानिकपुरी
भाटापारा छत्तीसगढ़
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