Thursday 26 September 2019

दोहा

हर पल जीवन में रहे,प्रेम भरा उल्लास।

बगिया जैसे फूल की,महके चारो मास।।

मन मे दीपक तो जले,चाहे बाहर रात।

अँधियारा गर मन रहे,तम हो कैसे मात।।

सोंचो समझो जान लो,जीवन के सब रंग।

बारी बारी आत है,हँसी-खुशी ,दुख जंग।।

खिड़की खोलो देंह की,मन दरवाजा तोल।

सोंच समझ खर्चा करो,यह जीवन अनमोल।।

नहिँ भुजंग लाठी मरे,और न मरे घमंड।

प्रेम रतन लाठी भली,काम करे यव-मंड।।

दोहे

हेमंत कुमार मानिकपुरी

भाटापारा छत्तीसगढ़

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