Wednesday 2 October 2019

पेड़ काटने से हुआ,धरती का नुकसान(दोहा)

दोहा
पेड़   काटने   से   हुआ , धरती का नुकसान।
हवा न अब ताजी बहे, वन-उपवन खलिहान।।

धुँआ-धुँआ  क्यों  आसमाँ , सोचें सारे लोग।
वायु  प्रदूषण  से हुआ, ईको  तंत्र  को  रोग।।

जहरीली   गैसें   उड़ें  ,  बनके   जैसे  काल।
मानव   पक्षी  जानवर  ,  होत  सभी  बेहाल।।

पानी  भी  गिरता  सदा, खंड  रूप  में  जान।
एक  ओर जल थल भरे, कहीं  रहे  अन्जान।।

कभी कभी इतना गिरे, 'थल' जल होय समान।
डूबे  ये   नाले    नदी  ,  जाय   हजारों  जान।।

कटे  पेड़  जब  नित्य  ही , कौन  लगावे  पार।
काटें   जब   भी  पेड़  जो , वृक्ष  उगावें  चार।।

जल  प्रदूषण  से  हुआ , बुरा  धरा का हाल।
कीट  पतंगें  साँप  भी , मरते हैं  हर  साल।।

शिल्प-सदन   से  बह  रहा  ,  गंदा  गंदा  नीर।
नाले  नदियों  की  हुई  , दशा  बहुत गंभीर।।

मछली  मेंढक  या  मगर, या कछुए की जात।
त्राहि त्राहि  सब कर रहे, समझो भी ये बात।।

पादप  भी  हलकान  हैं ,  झाड़  वृक्ष  या  दूब।
एक  तरफ  गंदी  हवा , अरु  गंदा जल खूब।।

ध्वनि से  भी अति हो रहा ,वायु प्रदूषण आज।
डी  जे  की आवाज सुन, हृदय होय  आघात।।

शोर   शराबे    में  कहाँ  ,  मन   होवे  हैं शांत।
पागल  पन  सा  होत  है , यही  रोग  सभ्रांत।।

बात  युवा  की  और  है  , उनको  भाये  शोर।
बूढ़ा  ,  रोगी   को   लगे ,  कर्कशता  पुरजोर।।

कहीं  प्रदूषण  जब रहे, उसका  कर  दें  नाश।
हरी   भरी   धरती   रहे , साफ  रहे  आकाश।।

बचा    सको    पर्यावरण  , ऐसा   हो   संज्ञान।
सुखी  रहें  सब  जीव  भी, चलो  बढ़ाएँ ज्ञान।।

दोहे

हेमंत कुमार "अगम"
भाटापारा छत्तीसगढ़

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