Thursday 1 October 2015

गज़ल

मरने के बाद कौन कहां जाएगा परवाह नही करते,
उजड़े हुए चमन की तबाहियां हम याद नही करते।

दो गज़ ज़मीन मिले न या खाख हो जाएं जलकर,
क्या फरक पड़ता है मरने के बाद की हम बात नही करते।

जीते हैं जिंदा दिली से प्यार-मोहब्बत के इशारों पर,
समंदर के बीच जाकर हम तूफानो की बात नही करते।

दर्द देखकर सिहर उठते हैं गरीबों की रूसवाईयां देखकर,
जी कर भी जो मरा है हम उनकी बात नही करते।

तंग हाथ थे पर दुवायें हमने बहोत दी है दिल से "हेमंत"
जो गर अमीर तंग हाथ हो हम उनकी बात नही करते।

रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़

No comments:

Post a Comment