Thursday 1 October 2015

गुरूजी बेमार हे

गुरूजी बेमार हे अपन आदत ले लचार हे,
इसकुल के पाछु गुटखा पाकिट के भरमार हे।
पच पच कोन्टा कोति निकल निकल के थुंकथे,
ह्वाट्सेप म नवा मेसेज के ओला इंतजार है॥

दुनिया भर के खबर गुरूजी मेरा तैं  पाबे,
लयीका पढ़ाय बर भर हमर गुरूजी अलाल हे।
बैठक के सूचना पाके गुरूजी गदगद हो जाथे ।
गप सड़ाका मारे बर हमर गुरूजी हुशियार हे॥

ओसनहे लयीका मन घलो एकदम अप -टू- डेट हे,
फेल पास के लफड़ा ले अब झंझट मुक्त हे।
थोरकिन पढ़ा लिन त गुरूजी के  बड़ मेहरबानी ,
नई तो हर रोज देवारी हर रोज फागुन तिहार हे॥

अउ लयीका के दाई ददा के बात करना बेकार हे,
ओकर मेर दिन भर काम बुता के भरमार हे।
कोरी कोरी लयीका घर म कोच बोच भराय हे,
पढ़यीया लयीका घर म लयीका अउ घर रखवार हे॥

गुरूजी, लयीका के दाई ददा या कोन जुम्मेवार हे ?
सब ल पास करे बर भैया हमर हिट सरकार हे।
लयीका पीसात हे हमर सब झिन के बीच बेचारा,
सब ल सोचे ल परही संगवारी कोन लयीका के गुनहगार हे ?

रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला

बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़

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