Friday, 28 June 2019

तू मानता क्यूँ नही ....ग़ज़ल

212/212/212/212

दरिया की प्यास भी देखता क्यूँ नही

जब तू बादल है तो बरसता क्यूँ नही

तुझको धन से नवाज़ा खुदा ने बहुत

पर  ग़रीबों  के  वास्ते  दया क्यूँ नही

लड़ता है  अपनो  से रोज  बेकार ही

बे - वजह  जंग को  रोकता  क्यूँ  नही

चलना है तुमको जिस रास्ते पे सदा

काँटे  उन  राहों  का  काटता क्यूँ नही

प्यार  का फलसफा  रोज  कह देता है

प्यार  को यार फिर बाँटता  क्यूँ नही

क्या तू कहता है क्या तू नही कहता है

गर  नही  जानता , जानता क्यूँ  नही

ग़ज़ल

हेमंत कुमार मानिकपुरी

भाटापारा छत्तीसगढ़

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