मेरे दुश्मन ने मेरे जनाजे को देखकर सुकूं लिया,
पर मेरे अजीज़ से कफ़न भी न मयस्सर हुआ।
मुझे दुश्मनों से ज्यादा तकलीफ नही,
डर लगता है वफादारों की बेवफाई से।
कभी कभी दुश्मन भी दोस्त से अच्छे होते है,
जो हमारी गलतियों को सरे आम पढ़ते है।
दुश्मनी उसनें बहोत खूब निभाया "हेमंत"
आज भी वो मेरे कब्र पर लड़ने आते हैं ।
रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़
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