उड़ने की ख्वाहिश जरा सम्हल के,
आसमां न तेरा है और न मेरा ।
माना ऊचाईयां छूने की आदत है तुझे,
एक पेड़ पे घोसला भी बना जरा ।
नादानियों के किस्से बहोत बहोत हैं,
जरा होशो ए हवाश मे किस्तीयां चला ।
ए नादान परिंदे बेखबर न उड़ना,
वर्ना तेरा आसमां होगा न जमीं होगा ।
रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
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