Tuesday 7 July 2015

वाह रे बंटवारा तै कर देस बंठा धार(छत्तीसगढ़ी)

    ॥वाह रे बंटवारा तैं कर देस बंठाधार॥

सुखी परवार भाई भाई के मया दुलार,
काबर बंटा जाथे हमर अंगना दुवार,
खेत बंटा जाथे बंटा जाथे बारी कोठार,
वाह रे! बंटवारा तै करदेस बंठाधार।

घर के छान्ही परवा खपरा बंटा जाथे,
काबर घर के कुरिया म डांड़ी खेंचाथे,
रंधनही खोली बंटाथे चुलहा बंटा जाथे,
बंटा जाथे हंड़िया के जम्मो चांऊर दार।

थारि लोटा गेलास बंगुनिया बंटा जावथे,
काबर ओढ़ना कथरि चद्दर बंटा जावथे,
कान पहिरे खिनवा के बंटवारा हो जाथे,
नई बांचय घर के कोनो जेवर अऊ हार।

महतारी असन भउजी बिसर जावथे,
छुटे कका, बड़े बाप असन के मया दुलार,
संग थारी म बईठ  बासी चटनी खवयीया,
आज घुमत हे धरे धरे काबर तलवार ?

तुलसी बीरवा घर के देंवता बंटा जावथे,
काबर अलग अलग  फईरका,रद्दा होवथे,
कथा रमायेन जेन घर म संग बईठ सुनय,
आज दुनो के घर म अलग अलग करतार।

अतका बांटेव कतका  कोन ल बांटेव,
जनम देवईया हमर  दाई ददा ल बांटेव,
दाई ददा ह बुढ़त काल म अलग होवथे,
आज हमर दाई ददा के डोंगा फंसे मझधार।

वाह रे बंटवारा तैं कर देस बंठा धार...

रचना -हेमंत मानिक पुरी
भाटापारा
जिला-
बलौदा बाजार -भाटापारा
छत्तीसगढ़

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