Saturday, 11 July 2015

कुकरा नरियावत हे बरेंडी(छत्तीसगढ़ी)

कुकरा नरियावत हे बरेंडी के कोर म,
कोयली  कूहकत हे आमा के लोर म,
महमाई के घंटा  टन टन बाजत हे,
जागव बिहिनिया के बेरा छपछपावत हे ।

जागव........

बोरींग के ठकर ठकर सुनावत हे,
पनिहारिन के हंउला ठकठकावत हे,
राउत के छो -छो गरूवा के खूर टपटपावत  हे,
चिरयी चुरगुन के कलरव बड़ निक लागत हे ।

जागव.....

दाई चुलहा म चाय चढ़ावत हे,
रद्दा गली खोर बहरावत हे,
बिहिनिया के बेरा सुते के नयी आय,
डोकरी दाई कतका चिल्लावत हे ।

               जागव.......

कोटना म भूसा पझरा गे हे,
किसनहा के नांगर सधवा गे हे,
अब अलाली के बेरा  खियावत हे,
देखव सब झन काम बूता म जावत हे  ।

             जागव........

रचना -
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला-
बलौदाबाजार-भाटापारा

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