कुकरा नरियावत हे बरेंडी के कोर म,
कोयली कूहकत हे आमा के लोर म,
महमाई के घंटा टन टन बाजत हे,
जागव बिहिनिया के बेरा छपछपावत हे ।
जागव........
बोरींग के ठकर ठकर सुनावत हे,
पनिहारिन के हंउला ठकठकावत हे,
राउत के छो -छो गरूवा के खूर टपटपावत हे,
चिरयी चुरगुन के कलरव बड़ निक लागत हे ।
जागव.....
दाई चुलहा म चाय चढ़ावत हे,
रद्दा गली खोर बहरावत हे,
बिहिनिया के बेरा सुते के नयी आय,
डोकरी दाई कतका चिल्लावत हे ।
जागव.......
कोटना म भूसा पझरा गे हे,
किसनहा के नांगर सधवा गे हे,
अब अलाली के बेरा खियावत हे,
देखव सब झन काम बूता म जावत हे ।
जागव........
रचना -
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला-
बलौदाबाजार-भाटापारा
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