Wednesday, 15 July 2015

उम्मीद तो कर रेला है बाप(हास्य व्यंग्य)

वेतन बढ़े भूखे पेट न मरें,
हो मोटरसाइकिल अपनी भी,
जिस में बैठ हम जमकर घूमें,
उम्मीद तो कर रेला है बाप!!!

बच्चों को कभी बीबी को घुमायें,
थोड़ा सैर सपाटा मे जायें,
दूर हो जाए कड़की हमारी,
जब शाली भी अपने घर आए।
     उम्मीद तो कर................

झुठे झुठे वादे होते हैं बड़े,
मन के लड्डू खाते हैं बड़े,
सपना अब सपना ही रह जाएगा,
शाला इनकमटेक्स हमारी भी कटे ।
         उम्मीद तो कर........

औरों को देख जलन सी होती है, ताने सुनकर बीबी से कान पकती है,
रोज खीचखीच मे टाईम मेरा जाता है,
कभी भर पेट घर मे खाना मिल जाए ।

रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़

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