Sunday 12 July 2015

अबला सी एक कर्मठ नारी(हिन्दी)

विचारों के अंतरद्वंद मे निहारती ,
अबला सी इक कर्मठ नारी ।

उलझे ताना बाना में उलझी है,
असंख्य विचारों की अनुभूति ।

कर्तव्य बोझ ,विचारों की उत्श्रृंखलता,
पग पग पथ पर अग्नि परीक्षा ।

वात्सल्यी ,करूणामय नारी,
विचलित सी क्यों हर बार तेरी आशा !

समाज की परिभाषाओं मे बंधी बंधी,
आज भी है तेरी अभिलाषा ।

रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़

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