Wednesday 15 July 2015

रोम रोम मेरा अबीर बन जाए(हिन्दी)

रोम रोम मेरा अबीर बन जाए,
जीवन प्रीत से इतना भर जाए,
आज होरी के रंग छूट रहे हैं,
कोई आकर मेरा मन रंग जाए ।

प्रेम के पक्के कोइ रंग लाए,
धुल जाए वह रंग न आए,
डारो रंग रसीया एसो रंग,
हर दिन मेरा फागुन बन जाए ।

नगाड़े, फगवा गीतों की बौछार,
धुल जाए मन का मैल अपार,
भाई-चारे का उत्सव बन जाए,
चलो हम ऐसा रंग पंचमी मनाएं ।

रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़ी

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