कतका लेबे जिनगी अऊ तै मोर इमतिहान,
पाछू परे हे सुख लुटयीया बड़े बड़े शैतान।
कभू अघायेंव नही पेट भर मोर सुरता म,
धरे कंवरा ल लूट जाथे इंहा भुखमर्रा बयीमान ।
जेकरे उपर भरोसा करबे उही देथे धोखा,
सादा कुरथा म लुकाय रहिथे इंहा बने मितान ।
पांव रखबे बाहिर त बया भुला जावत रहिथे,
पाई पाई कमयी के लुट जाथे इंहा मंहगयी के दुकान ।
तहसील चल देस कंहू कोनो काम लेके राम राम राम,
चपरासी ले साहब बर करे ल परथे चाय नाशता के ईंतजाम ।
रचना-
हेमंत मानिकपुरी
भाटापारा
जिला-
बलौदाबाजार-भाटापारा
८८७१८०५०७८
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