अबीर गुलाल बरसते रंग,
फगवा गीतों की राग सतरंग,
फागुन की बौछार पड़ी है,
नाचे सारा जगत छम छम ।।
नवा सूर नव ताल उमंग,
विहवल प्रेमी तरसे मन मिलन,
खेतों के मेड़ों पर सज रही,
टेसू के फूलों का अभिनव रसरंग ।।
है उन्मादित प्रकृति बसंत,
झूम रहे सब फागुन के संग,
रस राग घोलती तन मन मे,
सब रंग रंगे होली के संग ।।
रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़
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