Sunday 12 July 2015

हे प्रिये तुम मेरी नाव की पतवार बन जाना(हिन्दी)

बदली परिस्थितियों मे कंही बदल न जाऊं
जब भी हिलोरे खाऊं  सम्हल न पाऊं,
किसी अन्जान राहों पर भटक न जाऊं,
हे प्रिये तुम मेरी नाव की पतवार बन जाना  ।
हे प्रिये..................

जीवन राह कठीन है,
यहां बदलते समय और मन है,
संघर्ष का अंत यहाँ नही है,
एसे मे मेरी हौसलो की पुकार बन जाना ।
हे प्रिये..................

इस दुनिया मे तेरे सिवाय कोई नही मेरा,
अपनी प्रेम की शीतल छाया बरसा देना,
हजारों सपने लिए है मन मेरा,
मेरे सपनो को अपने हाथों से रंग चढ़ा दिया करना ।
हे प्रिये...............

   हेमंत

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