Wednesday 15 July 2015

यंहा मन के आंसू कौन देखता है(हिन्दी)

मन ही मन पीड़ा सहते है,
हंसते दिखते पर रोते है,
आंखों को सूखा रखना पड़ता है,
यहां मन के आंसू कौन देखता है ।।
                 यहां मन के आंसू.........

दर्द बताने की वजह नही दिखती,
कोइ मीत नही जो ह्रदय टटोलती,
इस चंचल संसार मे नही मिला कोई,
पढ़ता जो अंतरमन की वेदना।।
              यहां मन के आंसू............

सूर्ख जर्द आंखें टकटक देखती,
खूली आंखों मे निंन्द्रा भटकती,
मन मे रात भर बरसते मेघा,
आंसुओं को भी रातभर छटपटाना पड़ता है ।।
       यहां मन के आंसू कौन देखता है ।

रचना
हेमंत कुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा

No comments:

Post a Comment