Thursday 9 July 2015

फूल मोंगरा(छत्तीसगढ़ी)

  

मत मारव मोला भीअब जीयन दव,
बने पढ़ लिख आगु आगु बढ़न दव,
नी बोरवं सिरतोन तोर नाव ददा,
फूल मोंगरा कस मोला महकन दव।

फूल मोंगरा.......

जघा जघा भाई कतका घुमय फिरय,
मोर बेटी बर काबर रोकथाम होवय,
महु ल कतका दुनिया देखे के सौख हवय,
मोरो पांखी ल थोरकुन बाढ़न दव।

फूल मोंगरा......

थोरकुन मोरो उपर बिसवास करव,
मै जानत हंव घर के मरजाद हरंव,
कैसे चलना रहना हे ये दुनिया म,
महु ल दुनियादारी सब सिखन दव।

फूल मोंगरा......

बड़े होके मै जब अड़बड़ नाव कमाहूं,
तोर छाती कतका फूल जाहि ददा,
मोर एकठन सब कोनो बात मानव,
बेटी बेटा म फरक अंतस म झिन आवन दव ।

फूल मोंगरा कस  दुनिया म महकन दव..

रचना -
हेमंत मानिकपुरी
भाटापारा-बलौदाबाजार

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