एहिदे रे घोटाला हे,
बाई मन के जमाना हे,
दरर दरर कमावय गोसयीया,
बाई के पर्स निराला हे।
एहीदे रे घोटाला हे.......
चुरी टिकली लिपिस्टीक पाऊडर,
मेकप के आगे जमाना हे,
सुहला के मांगे रूपया,
नही कहे त हिल सेंडल खाना हे।
एहीदे रे घोटाला हे.....
सास बर लुगरा सारी बर लुगरा,
हमर खियाये पनही चिरहा कुरथा,
मोबाईल म टेशन देखाना हे,
अब तो सारा मन के जमाना हे।
एहीदे रे घोटाला हे.....
रचना-
हेमंत मानिकपुरी
भाटापारा
जिला-
बलौदाबाजार-भाटापारा
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