Thursday 31 December 2015

दैनिकभास्कर

         "उठव सूरज के सुवागत बर ...."

नवा बिहिनिया नवा अंजोर के अगोरा म,
धरती के कन कन सूरूज देव ल ताकत हे।
होत मुंधरहा छिप छिपी बेरा लाली लागत हे,
उठव सूरूज के सुवागत बर पग धरती म डारत हे॥

कांदी कांदी म शीत बरसे हीरा कस चमकत हे,
रात जागे चमगेदरी मन रूख म जा के ओरमत हे।
भंवरा तीतरी मन उड़ उड़ के डार फूल रिझावत हे,
अयीसन लागे जैसन धरती म सरग अमावत हे॥

दउड़ दुउड़ पुरवाही सन सननना गावत हे,
देखव रूखवा मन ल डोला डोला जगावत हे।
चिरइ चुरगुन के बोली कतका निक लागत हे,
कुकरा तो सबले पहिली के बरेंडी नरियावत हे॥

जाग गे हे परिया खार खेत तरिया नरवा,
नंदिया ले कुहरावत अमरीत धार बोहावत हे।
अंगना चंवरा म फूल खिले महर महर महमहावत हे,
नवा रद्दा नवा जिनगी ह  देखव हांथ लमाये बुलावत हे॥

रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़

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