Thursday, 31 December 2015

दस शीश वाले रावण

दस शीश वाले दशानन रावण,
राम के जमाने की पुराने रावण,
मार दिया राम ने तीर रावण,
अबके जमाने की हजार शीश के रावण।
मारने की जिद पे अटल हैं ,हम रावण,
शीश बढ़ाने पर अटल है रावण,
घास फूस की तरह अब के रावण,
अब घांस फूस की तरह बढ़ते रावण।
हर इंसान मे बसता दानव इक रावण,
रोज नया पैदा होते कितने रावण,
अगले विजयादशमी तक धरती पर,
जाने कितने कितने पैदा होंगे रावण।
समर्पण चाहा नारी का उस रावण ने,
अब के तो रावण हैं बलत्कारी रावण,
ये तो हैं अब के जमाने के रावण,
घर पर भी लाज हरण करते यह रावण।
जाते है लोग मारने कितने रावण,
या यूं कहें रावण ही मारने जाता रावण,
राम निर्लोप हर इंसान मे है रावण,
विचित्र विडंबना फिर मारते है रावण।
देख अट्टहास करती है घोर रावण,
राम तुम हार रहे मै जीत रहा रावण,
त्रेता मे तुम जीत गये थे राम, रावण,
कलयुग मे तो मै बस रावण रावण।

रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़

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