इस तरह तो कोई प्यार नही करता
मूंद कर आंखे कोई चार नही करता
ये दुनिया चंद मतलबीयों के हवाले है
सकल बिना कोई सीरत नही करता
फरिश्तों के बगल बैठे हैं तमाम मतलबी
बेवजह भी तो कोई सलाम नही करता
के सड़कों पर होते हैं बदन के लालची
जो हुस्न मिला तो कोई मना नही करता
ये जिंदगी की असल फलसफा है"हेमंत"
बे वजह तो यहां कोई प्यार नही करता।
रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
छत्तीसगढ़
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