जब तलक सांस चले
हिन्द बढ़ता चले.......
गरीबों के साथ साथ
लाचारों के साथ साथ
भाईचारा के साथ साथ
हिन्द बढ़ता चले.......
कानून का भरोसा मिले
संविधान पर भरोसा बढ़े
इंसाफ के साथ साथ
हिन्द बढ़ता चले........
अंबेडकर के राहों पर
धर्म पर सद्भाव बने
जब सामाजिक तरंग चले
हिन्द बढ़ता चले.........
सहिष्णु असहिष्णु छोड़ दें
हिन्दू मुस्लिम सिख्ख ईसाई
भारती बन चलता चलें
हिन्द बढ़ता चले..........
पहाड़ से मैदान तक
शहरों से गांव तक
जम्मू से कन्याकुमारी चले
हिन्द बढ़ता चले........
घर घर मे तिरंगा हो
हर घर देशभक्ति चले
वतन के लिए कुर्बानी चले
हिन्द बढ़ता चले.........
हमारी भी एक रूतबा हो
जवानो मे जब जस्बा चले
बोझ जब कांधा पर चले
हिन्द बढ़ता चले.........
अमन शांति जब प्यारा हो
बारूदों की जरूरत न चले
हर जान की हिफाजत चले
हिन्द बढ़ता चले...........
राजनीति साफ साफ चले
समाज सेवा पर काम जले
विकास का मुद्दा चले
जब तलक सांस चले
हिन्द बढ़ता चले........
रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़
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