Thursday, 31 December 2015

गुरू घासी दास

अंधरा के तुमन आंखी बनेव,
भैरा के तुम फरके कान बनेव।
जोजवा बर दिया गियान बनेव,
बाबा सही रद्दा के पहिचान बनेव॥

जात पात ल लतियायेव तुमन,
छुआ छूत बर बड़ काल बनेव।
सही रद्दा देखाय बर घासीदास बबा,
तुमन दुनिया के रेंगहार बनेव॥

भाई भाई के सही अरथ ल बतायेव,
मानव धरम का होहि समझायेव।
सबो जाति के पीरा ल समझेव,
सत धरम के सही पहिचान बतायेव॥

दारू गांजा के अवगुण समझायेव,
सही करम के पहिचान ल बतायेव।
मास भकछन के घोर बिरोध करेव,
सब जीव बर तुमन मया बगरायेव॥

समाज ल एक डोर म बांधे बर,
सही गियान हमन ल समझायेव।
बिखरत समाज के बोहेव बोझा,
सत मारग ल बाबा तुमन समझायेव॥

रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़

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