१२२२/१२२२/१२२२/१२२२
परींदे सर/हदों की सब/दिवारें तो/ड़ उड़ते हैं
यहीं हम है/वतन पर भी/सियासी बा/त करते हैं।
जमा है खू /न का कतरा/किसी मां के/दुपट्टों पर
अमन की रा /ह पर पहरा/अंधेरी रा/त करते है।
खुदी को अब/ खुदी से आ/ज हम बदना/म करते है
किसी की नफ/रतों को हम /शराबी जा/म करते है।
जिसे अपने /हरम की जां/हिफ़ाजत भी/नही आया
रगड़कर आं/ख ये अब भी/मलालें शा/म करते है।
उजालों ने/कभी हमको/नज़र भर भी/नही देखा,
गरीबी के/मकानो पर/कहां ये चां/द करते है।
ग़ज़ल
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
छत्तीसगढ़ok
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